बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर

20 वीं शताब्दी के श्रेष्ठ चिन्तक, ओजस्वी लेखक, तथा यशस्वी वक्ता एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता हैं। विधि विशेषज्ञ, अथक परिश्रमी एवं उत्कृष्ट कौशल के धनी व उदारवादी, परन्तु सुदृण व्यक्ति के रूप में डॉ. आंबेडकर ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. आंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है।

छुआ-छूत का प्रभाव जब सारे देश में फैला हुआ था, उसी दौरान 14 अप्रैल, 1891 को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था। बचपन से ही बाबा साहेब ने छुआ-छूत की पीड़ा महसूस की थी। जाति के कारण उन्हें संस्कृत भाषा पढ़ने से वंचित रहना पड़ा था। कहते हैं, जहाँ चाह है वहाँ राह है। प्रगतिशील विचारक एवं पूर्णरूप से मानवतावादी बडौदा के महाराज सयाजी गायकवाड़ ने भीमराव जी को उच्च शिक्षा हेतु तीन साल तक छात्रवृत्ती प्रदान की, किन्तु उनकी शर्त थी की विदेश से वापस आने पर दस वर्ष तक बडौदा राज्य की सेवा करनी होगी। भीमराव ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से पहले एम. ए. तथा बाद में पी. एच. डी. की डिग्री प्राप्त की । उनके शोध का विषय “भारत का राष्ट्रीय लाभ ” था। इस शोध के कारण उनकी बहुत प्रशंसा हुई। उनकी छात्रवृत्ति एक वर्ष के लिये और बढा दी गयी । चार वर्ष पूर्ण होने पर जब भारत वापस आये तो बडौदा में उन्हें उच्च पद दिया गया किन्तु कुछ सामाजिक विडंबना की वजह से एवं आवासिय समस्या के कारण उन्हें नौकरी छोडकर बम्बई जाना पड़ा बम्बई में सीडेनहम कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए किन्तु कुछ संकीर्ण विचारधारा के कारण वहाँ भी परेशानियों का सामना करना पङा । इन सबके बावजूद आत्मबल के धनी भीमराव आगे बढते रहे। उनका दृण विश्वास था कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। 1919 में वे पुनः लंदन चले गये। अपने अथक परिश्रम से एम. एस. सी., डी. एस. सी. तथा बैरिस्ट्री की डिग्री प्राप्त कर भारत लौटे।

1923 में बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत शुरु की अनेक कठनाईयों के बावजूद अपने कार्य में निरंतर आगे बढ़ते रहे। एक मुकदमे में उन्होंने अपने ठोस तर्कों से अभियुक्त को फांसी की सजा से मुक्त करा दिया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। इसके पश्चात बाबा साहेब की प्रसिद्धी में चार चाँद लग गया।
डॉ. आंबेडकर की लोकतंत्र में गहरी आस्था थी। वह इसे मानव की एक पद्धति ( Way of Life) मानते थे। उनकी दृष्टी में राज्य एक मानव निर्मत संस्था है। इसका सबसे बड़ा कार्य “समाज की आन्तरिक अव्यवस्था और बाह्य अतिक्रमण से रक्षा करना है।” परन्तु वे राज्य को निरपेक्ष शक्ति नही मानते थे। उनके अनुसार – “किसी भी राज्य ने एक ऐसे अकेले समाज का रूप धारण नहीं किया जिसमें सब कुछ आ जाय या राज्य ही प्रत्येक विचार एवं क्रिया का स्रोत हो ।”
अनेक कष्टों को सहन करते हुए, अपने कठिन संर्घष और कठोर परिश्रम से उन्होंने प्रगति की ऊंचाइयों को स्पर्श किया था। अपने गुणों के कारण ही संविधान रचना में, संविधान सभा द्वारा गठित सभी समितियों में 29 अगस्त, 1947 को “प्रारूप-समिति” जो कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण समिति थी, उसके अध्यक्ष पद के लिये बाबा साहेब को चुना गया। प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. आंबेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। संविधान सभा में सदस्यों द्वारा उठायी गयी आपत्तियों, शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का निराकरण उनके द्वारा बड़ी ही कुशलता से किया गया। उनके व्यक्तित्व और चिन्तन का संविधान के स्वरूप पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनके प्रभाव के कारण ही संविधान में समाज के पद-दलित वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उत्थान के लिये विभिन्न संवैधानिक व्यवस्थाओं और प्रावधानों का निरुपण किया (परिणाम स्वरूप भारतीय संविधान सामाजिक न्याय का एक महान दस्तावेज बन गया।
1948 में बाबा साहेब मधुमेह से पीड़ित हो गए। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदानिक अवसाद और कमजोर होती दृष्टि से भी ग्रस्त रहे। अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसंबर 1956 को अम्बेडकर इह लोक त्यागकर परलोक सिधार गये । 7 दिसंबर को बौद्ध शैली के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया जिसमें सैकड़ों हजारों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया। भारत रत्न से अलंकृत डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अथक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता, धन्य है वो भारत भूमि जिसने ऐसे महान सपूत को जन्म दिया।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। Indian Caste System की बुराइयों के बीच जन्मे बाबासाहेब ने बचपन से ही उपेक्षा और असमानता का आघात झेला। को आम आदमी इन आघातों से कमजोर पड़ जाता पर बाबासाहेब तो कुछ अलग ही मिट्टी के बने थे : इन आघातों ने उन्हें वज्र सा मजबूत बना दिया और अपनी असीम इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर उन्होंने एक आधुनिक भारत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया।
बाबासाहेब बी आर अम्बेडकर के बारे में कुछ रोचक तथ्य :-
1. भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता की आखिरी संतान थे ।
2. डॉ. अंबेडकर के पूर्वज काफी समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी में कार्यरत थे और उनके पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में Mhow Cantonment में तैनात थे।
3. डॉ. अम्बेडकर का मूल या ओरिजिनल नाम था अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर, जो उन्हें बहुत मानते थे, ने स्कूल रिकार्डस में उनका नाम अम्बावाडेकर से अम्बेडकर कर दिया ।
4. बाबा साहेब बम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दो साल तक प्रिसिपल पद पर कार्यरत रहे।
5. डॉ. बी. आर अम्बेडकर भारतीय संविधान की धारा 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है के खिलाफ थे।
6. बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र डाक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे।
7. डॉ. अम्बेडकर बाद के सालों में डायबिटीज से बुरी तरह ग्रस्त थे।
8. डॉ. अम्बेडकर ही एक मात्र भारतीय हैं जिनकी Portrait लन्दन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
9. इंडियन फ्लैग में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है।
10. B R Ambedkar Labor Member of the Viceroy’s Executive Council के सदस्य थे और उन्ही की वजह से फैक्ट्रियों में कम से कम 12-14 घंटे काम करने का नियम बदल कर सिर्फ 8 घंटे कर दिया गया था।
11. वो बाबासाहेब ही थे जिन्होंने महिला श्रमिकों के लिए सहायक Maternity Benefit for women Labor, Women Labor welfare fund, Women and Child, Labor Protection Act जैसे कानून बनाए।
12. Economic का Nobel Prize जीत चुके अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन डॉ बी आर अम्बेडकर को अर्थशास्त्र में अपना पिता मानते हैं।
13. बेहतर विकास के लिए 50 के दशक में ही बाबासाहेब ने मध्य प्रदेश और बिहार के विभाजन का प्रस्ताव रखा था, पर सन 2000 में जाकर ही इनका विभाजन कर छत्तीसगढ़ और झारखण्ड का गठन किया गया।
14. बाबासाहेब को किताबें पढ़ने का बड़ा शौक था। माना जाता है कि उनकी पर्सनल लाइब्रेरी दुनिया की सबसे बड़ी व्यक्तिगत लाइब्रेरी थी, जिसमे 50 हज़ार से अधिक पुस्तकें थी ।
15. हिन्दू पन्थ में व्याप्त कुरूतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकार सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। 16. सन 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था।
17. 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयन्ती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।
18. 18 मार्च 1956 को आगरा में लाल किले के सामने बाबा साहब का अंतिम भाषण था एवं उन्होंने ने कहा था कि मुझे मेरे पढ़े-लिखे लोगों ने धोखा दिया है।
समर्पित स्मारक और संग्रहालय

आम्बेडकर के स्मरण में विश्वभर में कई वास्तु स्मारक एवं संग्रहालय बनाये गये हैं। कई स्मारक ऐतिहासिक रुप से उनके जुडे हैं तथा संग्रहालयों में उनकी विभिन्न वस्तुओं का संग्रह हैं।

1. बाबासाहेब आम्बेडकर वस्तु संग्रहालय – शांतिवन – चिचोली गाँव (नागपुर जिला ) इसमें आम्बेडकर के निजी उपयोग की वस्तुएँ रखी हैं।

2. डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मणिमंडपम – चेन्नई |

3. आम्बेडकर मेमोरियल पार्क – लखनऊ, उत्तर प्रदेश |

4.भीम जन्मभूमि- डॉ. आम्बेडकर नगर (महू), मध्य प्रदेश (आम्बेडकर की जन्मस्थली ) ।

5. डॉ. आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक – 26 अलीपुर रोड, नई दिल्ली।

6. डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर सामाजिक न्याय भवन – महाराष्ट्र (राज्य के करीब हर जिले में बनी सरकारी वास्तु।

7.  डॉ.बी॰ आ॰ आम्बेडकर मेमोरियल पार्क (डॉ. बी० आ० अम्बेडकर स्मृति वनम) अमरावती, आंध्र प्रदेश (यहां आम्बेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा बनने वाली हैं।

8. डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक (स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी) – मुंबई, महाराष्ट्र (यहां आम्बेडकर की 450 फीट ऊंची प्रतिमा बनने वाली हैं।

9.चैत्यभूमि – मुंबई, महाराष्ट्र (आम्बेडकर की समाधि स्थली )

10. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा- कोयासन विश्वविद्यालय, जापान ।

11. डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर स्मारक आम्बेडकर यहां रहे थे ।

लंदन, युनायटेड किंग्डम (लंदन में पढ़ाई के दौरान (1921-22 ) में

12. डॉ. आम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर – दिल्ली |

13. भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक – ऐरोली, मुंबई, महाराष्ट्र ।

14. राजगृह – दादर, मुंबई, महाराष्ट्र (आम्बेडकर का घर ) ।

15. डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर संग्रहालय और स्मारक – पुणे, महाराष्ट्र (राष्ट्रीय संग्रहालय ) ।

16. डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक – महाड, महाराष्ट्र (यहां बाबा साहब ने महाड़ सत्याग्रह भी किया था ।

17. भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मुक्तिभूमि स्मारक – येवला, नासिक जिला, महाराष्ट्र ( यहां बाबा साहेब आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा की थी।

18. दीक्षाभूमि – नागपुर, महाराष्ट्र (यहां बाबा साहेब आम्बेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

मानद उपाधियाँ—

1. डाक्टर ऑफ लॉज (एलएलडी), 1952 : कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका (254)।

2. डाक्टर ऑफ लिटरेचर (डी. लिट.), 1953 : उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद, भारत।

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